बाल्यकाल से भारतीय संस्कार देना अतिआवश्यक है
किन्तु दुर्भाग्यवश वर्तमान में 2 वर्ष की आयु से और
प्राथमिक विद्यालय के पूर्व की शिक्षा में अभिभावक
और विद्यालय इस होड़ में लगे हैं कि कैसे 2 से 5
वर्ष का एक अबोध बालक न केवल फटाफट अंग्रेजी
भाषा बोलने लगे वरन् वह पूरी तरह अंग्रेजों के
संस्कार से युक्त हो जाए। यही कारण है कि आज
विद्यार्थी और युवा पीढ़ी संस्कार विहीन, उश्रृंखल,
अपराधी, असहिष्णु, असहनशील, मानसिक और शारीरिक
रूप से अस्वस्थ हो रही है।
महर्षि किड्स होम में ऐसी शिक्षा व्यवस्था की गई है
कि अल्पायु से ही बालक-बालिकायें भारतीय
ज्ञान-विज्ञान और संस्कारों में ढल जायें। उनका मन,
मस्तिष्क और चेतना स्वाभावतः ऐसी विकसित हो कि
वे सतोगुणी, ओजस्वी, तेजस्वी, सर्वसमर्थ और आत्मनिर्भर
सहिष्णु, उत्तरदायी आदर्श नागरिक बन सकें।
महर्षि किड्स होम की सहयोगी संस्था के रूप में
प्रारम्भ करने के लिये इच्छुक नागरिक एवं संस्थायें
सम्पर्क कर सकते हैं।
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